मकर संक्रांति 2025: जानें 7 परंपराएं जो इस त्योहार को बनाती हैं खास

मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस त्योहार को और भी खास बनाने के लिए कुछ परंपराएं हैं जो न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती हैं। आइए जानते हैं उन 7 परंपराओं के बारे में जो मकर संक्रांति को और भी खास बनाती हैं:

  1. पवित्र नदियों में स्नान: मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना सबसे पहला और शुभ कार्य माना जाता है। यह तन और मन की शुद्धि के लिए आवश्यक माना जाता है।
  2. सूर्य को अर्घ्य देना: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है, यानी सूर्य की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर बदलती है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  3. पतंग उड़ाना: मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। आसमान में उड़ती पतंगें खुशी और आजादी का प्रतीक मानी जाती हैं।
  4. गाय को हरा चारा खिलाना: मकर संक्रांति के दिन गाय को हरा चारा खिलाने की परंपरा है। यह मां दुर्गा और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक माध्यम माना जाता है।
  5. दान करना: मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। गुड़, तिल, रेवड़ी और अनाज का दान करना शुभ फल देता है।
  6. खिचड़ी बनाना: मकर संक्रांति को ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहा जाता है। इस दिन खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है।
  7. अनाजों की पूजा करना: मकर संक्रांति से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन अनाजों की पूजा कर भगवान का धन्यवाद किया जाता है।

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