आज है लोहड़ी, जानें कैसे मनाते हैं ये त्योहार और इसकी धार्मिक मान्यताएं

मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन से रबी फसल की कटाई भी शुरू होती है। लोग नई फसल की खुशियां मनाते हैं और भगवान को धन्यवाद देते हैं। शाम के समय, लोग खुले मैदान में एकत्रित होते हैं और लोहड़ी की पवित्र आग जलाते हैं। लोहड़ी की पवित्र आग सामूहिक रूप से जलाई जाती है। इसे जलाते समय लोग उसके चारों ओर घूमते हैं और इसमें मूंगफली, रेवड़ी, गज्जक, तिल, गुड़, मक्का और सूखे मेवे अर्पित करते हैं। ये सामग्री समर्पण और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। मूंगफली और रेवड़ी को आग में डालने के पीछे ये मान्यता है कि इससे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में मिठास आती है। तिल और गुड़ को पवित्रता और जीवन की मिठास का प्रतीक माना जाता है। मक्का और गेहूं नई फसल और समृद्धि का प्रतीक है।

लोहड़ी के मंत्र और फेरे
लोहड़ी की आग के चारों ओर परिवार के सदस्य और मित्र फेरे लगाते हैं। ये अनुष्ठान पवित्रता और एकजुटता का प्रतीक है। फेरे लेते समय, लोग प्रार्थना करते हैं और यह मंत्र बोल सकते हैं।

ओम अग्नये नमः (अग्नि देव को नमन)

सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः (सभी सुखी और स्वस्थ रहें).

लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार आज 13 जनवरी 2025 की शाम को 5 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट के बीच में आप कभी भी लोहड़ी जला सकते हैं। इस दौरान 7 या 11 फेरे लेते हुए अग्नि को तिल, गुड़, मूंगफल, रेवड़ी, मक्का आदि चीजें अर्पित की जाती हैं और फेरे के समय एक विशेष मंत्र बोला जाता है। वैसे हर जाति-धर्म की अपनी-अपनी परंपराएं हैं।

इस दौरान लोग आग में अर्पित सामग्री डालते हुए प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन समृद्ध, शांत और आनंदमय हो। धार्मिक महत्व की बात करें तो लोहड़ी मुख्यतः सूर्य देव और अग्नि देव की आराधना का पर्व है। इस दिन अग्नि में सामग्री अर्पित कर समृद्धि और शांति की कामना की जाती है। लोहड़ी का एक और आकर्षण भांगड़ा और गिद्धा जैसे पारंपरिक नृत्य हैं। ढोल की थाप पर लोग नृत्य करते हैं और पारंपरिक गीत गाकर खुशियां मनाते हैं।

Leave a Comment

और पढ़ें

marketmystique

Cricket Live Score

Corona Virus

Rashifal

और पढ़ें