उज्जैन (UJJAIN) में साल 2028 में प्रस्तावित सिंहस्थ मेले को लेकर बड़ी खबर है। अब उज्जैन के सिंहस्थ मेले में भी हरिद्वार के तर्ज पर न सिर्फ स्थाई निर्माण किया जा सकेगा बल्कि साधु-संत चाहें तो 10 मंजिल तक धर्मशाला, मठ और मंदिर भी बना सकेंगे। इसकी विशेष अनुमति अखाड़ा प्रमुखों की स्वीकृति के बाद जिला प्रशासन द्वारा जारी की जाएगी। ये ऐलान सोमवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। इससे पहले सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थाई निर्माण की अनुमति नहीं थी।
स्थाई निर्माण की अनुमति नहीं होने की वजह से हर 12 साल में सिंहस्थ मेले के दौरान साधु-संतों को अस्थाई निर्माण में लाखों रुपये खर्च करने पड़ते थे। इससे समय की बर्बादी भी होती थी। इसके अलावा सिंहस्थ में आने श्रद्धालुओं को भी महंगे होटलों में रुकने को मजबूर होना पड़ता था।
प्रशासन का कहना है कि इन्हीं तथ्यों को देखते हुए हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में भी सिंहस्थ 2028 की योजना में संशोधन किया गया है। अब महामंडलेश्वर और आचार्यों की सहमति से सिंहस्थ क्षेत्र में 10 मंजिल तक मठ, मंदिर और धर्मशालाओं का निर्माण हो सकेगा।
बता दें कि कुछ समय पूर्व बनाए मास्टर प्लान-2035 के अनुसार संरक्षित सिंहस्थ मेला क्षेत्र में अधिकतम ऊंचाई 12 मीटर याने 5 मंजिला तक की बिल्डिंग बनाने की अनुमति थी। अब 30 मीटर ऊंचाई तक इमारत बनाने की अनुमति मिलने से शहर में भी ऊंची इमारतों के बनने का रास्ता साफ हो गया है। नए प्रावधान के तहत टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से इमारत का नक्शा अप्रूव हो सकेगा। इसकी नोडल एजेंसी उज्जैन विकास प्राधिकरण होगी।
शिप्रा पर बनेगा फोरलेन ब्रिज
सिंहस्थ-2028 में करीब 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसी को ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ के कार्यों की प्लानिंग भी की गई है। इसमें मेला क्षेत्र में सिंगल लेन को टू-लेन और टू-लेन को फोरलेन में बदला जा रहा है। मेला क्षेत्र की सड़कों पर से अंधे मोड़ को खत्म किया जा रहा है। इसके साथ ही मेला क्षेत्र में आने-जाने के लिए अतिरिक्त फोरलेन ब्रिज का निर्माण शिप्रा नदी पर किया जा रहा है। इनका उपयोग वन-वे सिस्टम के तहत किया जा सकेगा।