हिंदू धर्म में हर एकादशी काफी मायने रखती है लेकिन माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली ‘षटतिला एकादशी’ का अपना बेहद खास महत्व है, षटतिला में षट’ का अर्थ है छः और ‘तिला’ का अर्थ है तिल।इस दिन अगर आप प छः प्रकार से तिल का प्रयोग करें तो इंसान के सभी पापों का नाश होता है।
उसे हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है और और मोक्ष मिलता है, आज ये पावन दिन आया है। आज के दिन तिल का प्रयोग सेवन, दान, स्नान, उबटन, होम और तर्पण किया जाता है।
मालूम हो कि षटतिला एकादशी की तिथि 24 जनवरी को 7:25 PM पर शुरू हुई थी और इसका अंत आज 8:31 PM पर होगा, उदयातिथि मान्य होने की वजह से एकादशी का व्रत आज रखा गया है।
षटतिला एकादशी का पूजा मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त : 12: 12 PM से 12:55 PM
विजय मुहूर्त: 2:21 PM से 3: 03 PM तक षटतिला एकादशी की पूजा विधि प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
घर या मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान विष्णु को तिल मिश्रित जल से स्नान कराएं।
उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं।
तुलसी, फूल, चंदन, फल और तिल से पूजा करें।
भगवान को तिल से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
परिवार और भक्तों के साथ व्रत कथा का श्रवण करें।
इस दिन तिल, अन्न, वस्त्र और जरूरतमंदों को भोजन दान करें।
षटतिला एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय पृथ्वी पर एक धनवान महिला रहती थी जो हमेशा व्रत करती थी, लेकिन उसने कभी किसी को भोजन या दान नहीं दिया। उसकी आत्मा को स्वर्ग में भी भोजन नहीं मिला। भगवान विष्णु ने उससे पृथ्वी पर जाकर तिल का दान करने और व्रत रखने को कहा। तब उसने 6 तरह के तिल का दान किया था तब से ही ये व्रत षटतिला एकादशी के नाम से विख्यात हुआ।
तिल का छः प्रकार से उपयोग
स्नान में तिल मिलाएं।
तिल का उबटन लगाएं।
तिल से हवन करें।
तिल का दान करें।
तिल युक्त भोजन करें।
तिल का तर्पण करें।