श्री राम भक्त हनुमंत लाल ने पल भर में जलाई लंकापति रावण की लंका

रायसेन। ऐतिहासिक रामलीला मेला के चलते रविवार को लंका दहन के आकर्षण प्रसंग की लीला का मंचन कलाकारों द्वारा अति सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया जिसे देखने के लिए भारी तादाद में धर्म प्रेमी रामलीला मैदान पहुंचे। प्रस्तुत की गई लीला के अनुसार सीता का पता लगाने के लिए भगवान राम सुग्रीव सुग्रीव नल नील जामवंत आदि को भेजते हैं, इसके पश्चात वह समुद्र के किनारे पहुंचते हैं वहां समुद्र लगने के लिए योजना बनाई जाती है जामवंत हनुमान जी से कहते हैं कि तुम ही एक ऐसे बलशाली हो जो इस समुद्र को लांघ सकते हो। इस प्रकार से हनुमान जी समुद्र के पास पहुंचते हैं तो समुद्र रास्ता रोक कर खड़ा हो जाता है परंतु अंत में समुद्र भी रास्ता देने के लिए विवश हो जाता है आगे चलकर सुरसा नामक राक्षसी को भी मारते हुए हनुमंत लाल जी लंकनी नामक राक्षसी का वध करते हैं और लंका नगरी में प्रवेश कर जाते हैं। इधर लंका नगरी के पहले पर पहरेदार होते हैं और हनुमान जी लंका में प्रवेश कर भ्रमण करते हैं परंतु उन्हें माता-पिता का पता नहीं चलता घूमते घूमते लंका नगरी में उन्हें रावण के भाई विभीषण का घर दिखाई देता है जिसके सामने राम-राम लिखा होता है और तुलसी जी का पेड़ भी दिखाई देता है हनुमान जी सोचते हैं यह घर मेरे प्रभु के किसी भक्त का ही है चलो चल कर देखना चाहिए इस प्रकार से हनुमान जी विभीषण के घर पहुंचते हैं यहां विभीषण और हनुमान जी के बीच परीक्षा होता है विभीषण माता सीता का पता बताते हुए कहते हैं कि सीता अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे बैठी हुई है इस प्रकार से हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचते हैं और माता-पिता को देखकर प्रसन्न होते हैं यहां सीता जी और हनुमान जी के बीच प्रसंग होता है हनुमान जी वृक्ष पर चढ़कर मुद्रा का डाल देते हैं जिसे देखकर माता-पिता कहते हैं कि अरे यह मुद्रिका तो मेरे स्वामी की है यहां कहां से आई तभी हनुमान जी सीता जी के समक्ष होकर कहते हैं कि मैं प्रभु श्री राम का भक्त हनुमान हूं उन्होंने आपकी खोज के लिए ही मुझे भेजा है ।इस प्रकार से हनुमान जी सीता जी से कहते हैं की मां मुझे भूख लगी है और फल खाने लगते हैं, तभी रावण सेना के लोग वहां पहुंचते हैं और रावण को इसकी सूचना देते हैं कि कोई वानर आया है उसने सारी अशोक वाटिका उजाड़ दी है। इस प्रकार से रावण अपने बेटा अक्षय कुमार को भेजता है तो हनुमान जी उसका वध कर देते हैं इसके पश्चात रावण आती गुस्सा में आकर फिर मेघनाथ को भेजता है और मेघनाथ हनुमान जी से संवाद करता है इस दौरान ब्रह्म शक्ति का प्रयोग करते हुए मेघनाथ हनुमान जी को बांधकर लंका पति रावण के पास ले जाता है इधर यहां रावण और हनुमान जी के बीच आकर्षक प्रसंग होता है इसके बाद रावण अपनी सेवा को आदेश देता है कि इस वानर की पूछ में आग लगा दो इस प्रकार से जैसे ही हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई जाती है तो हनुमान जी पूछ में आग लगते ही लंका पति रावण की सोने की लंका को भी घूम-घूम कर पल भर में भस्म कर देते हैं इस प्रकार से रामलीला में लंका दहन के आकर्षण प्रसंग की लीला का मंचन किया गया। लंकापति रावण की भूमिका आदित्य शुक्ला और हनुमान जी की भूमिका अनिल पाराशर तथा मेघनाथ की भूमिका गुरु दयाल बैरागी, विभीषण की भूमिका पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा द्वारा निभाई गई।

रामलीला में सोमवार को होगी विभीषण शरणागति प्रसंग की लीला

रामलीला मेला समिति के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार को स्थानीय कलाकारों द्वारा विभीषण शरणागति प्रसंग की आकर्षक लीला का मंचन रामलीला मैदान में किया जाएगा।

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