पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का पर्व आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि नारायण की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परीपूर्ण होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत की बारिश करता है। शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने की परंपरा चली आ रही है, जिसके अनुसार खीर को रातभर चंद्रमा की चांदनी में रखते है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर 2024, बुधवार को मनाई जा रही है। इस दिन दान का विशेष महत्त्व है, लेकिन कुछ चीजों के दान से हमें बचना चाहिए।
शरद पूर्णिमा पर किन चीजों का दान नहीं करना चाहिए?
- शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी ‘लोहे के सामान’ का दान नहीं करें। हिंदू धर्म में इस दिन लोहे का दान करना अशुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लोहे का दान करने से शनिदोष जातक को घेर सकता है। साथ ही व्यक्ति को लगातार हर कार्य में असफलता मिल सकती है।
- शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी ‘दही का दान’ नहीं करें। कहा जाता है कि, इस दिन दही का दान करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियां घेर लेती है। इन सब की वजह से जीवन में अशांति फ़ैल सकती है। दही का दान शुक्रदोष से पीड़ित कर सकता है।
- शरद पूर्णिमा के दिन भूलकर भी ‘नमक का दान’ नहीं करें। कहते है इससे जीवन में नकारात्मकता फैलने लगती है और जीवन से खुशी समापत हो जाती है।
शरद पूर्णिमा पर किन चीजों का दान करना चाहिए?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चावल, गुड़, खीर का दान करने से जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिलते है। इससे व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।